सखि, साड़ी आज भिगो ली। भीगी अँगिया औ’ चोली। मैं निपट निगोड़ी भोली, प्रभु से खेली क्यों होली।।ध्रु।। वह चोर जार गिरधारी। भर ले आया पिचकारी।...

सखि, साड़ी आज भिगो ली। भीगी अँगिया औ’ चोली। मैं निपट निगोड़ी भोली, प्रभु से खेली क्यों होली।।ध्रु।। वह चोर जार गिरधारी। भर ले आया पिचकारी।...
तू स्पंदन है मेंरे उर का, तू श्वासों का अनुगुंजन है। आलंबन है तू जीवन का, मैं सीता तू रघुनंदन है।।ध्रु.।। जड काया को निज माया से, तू कर...
प्रभु तुम्हारे पदकमल पर मन सदा एकाग्र हो। कार्य यह अविलंब हो, प्रभु शीघ्र हो अतिशीघ्र हो।।ध्रु.।। वानरों सा कूदता मन वृक्ष से दीवाल पर। इस...
हा खेळ खेळूनि दावू प्रभुला हा खेळ खेळूनि दावू।।ध्रु.।। कोणी म्हणती टिपऱ्या याला। कोल म्हणती कांही जण ज्याला। माणिकनगरीं जाऊ हा खेळ खेळूनि...
ले गुलाल, प्रभु पर डाल, मल कर गाल, खेली होली। मैंने प्रभु से खेली होली।।ध्रु.।। शुभ्र-धवल सद्गुण पहचाना। लाल-गुलाबी राजस जाना। कृष्ण-धूम्र...
देखो साक्षी बन अपने को। सुख दु:ख के सपने को।।ध्रु.।। पहले तुम निज काया देखो। औ’ उसकी सब माया देखो। देखो सांसों के आने को औ’ देखो जाने...
जहाँ मैं अड़ा हूँ, वहाँ तुम नहीं हो। जहाँ तुम खड़े हो वहाँ मैं नहीं हूँ।।ध्रु.।। गली प्रेम की ये बड़ी संकरी है। बड़ी तंग है औ’ मुसीबत भरी है।...
नाम जिसका है न कुछ लूँ नाम उसका किसलिए? रूप जिसका है न वह किस काम का मेंरे लिए।।ध्रु.।। वह स्वयं कहता कि उसका नाम ‘माणिक’ है नहीं। देह...
प्रतिपल मरने की घटना को लोग यहाँ जीवन कहते हैं। पहन हाथ में पीतल, उसको सोने का कंगन कहते हैं।।ध्रु.।। मरने के अतिरिक्त यहाँ तुम क्या कर...
सच्चित्सुख तव जय हो। श्री माणिकप्रभु जय जय हो।। भक्तकार्यकल्पद्रुम गुरुवर सकलमतस्थापक विधि-हरि-हर।। ध्रु.।। व्याप्त सकल कण कण में। तुम...
जयदेव जयदेव जय सिद्धराजा। श्री सिद्धराजा। आरती ओवाळूं तुज सद्गुरुराजा। जयदेव.।।ध्रु.।। भक्तोद्धारासाठी घेसी अवतारा। अंतरि असुनी विरक्त...
मार्तंड पराक्रमचंड कीर्तिउद्दंड शमवि पाखंडा। उंचवी प्रभो निज सकलमताचा झेंडा।।ध्रु.।। माणिक्य सकलसुरमुख्य दीप्तिदैदिप्य तेजजाज्ज्वल्या। हे...